चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है हिंदू नव वर्ष

1 जनवरी को पूरी दुनिया नया साल मनाती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि नया साल सिर्फ 1 जनवरी को ही होता है. विश्व भर में अलग-अलग जगहों पर नया वर्ष अलग-अलग तारीखों से मनाया जाता है. यहां तक कि अलग-अलग धर्म और संप्रदाय भी नए वर्ष को अपने हिसाब से अलग-अलग तिथियों को मनाते हैं. इन सब में भारतीय धर्म के हिसाब से नव वर्ष की मान्यता सबसे ज्यादा है. क्योंकि हिंदू नव वर्ष वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी नए वर्ष की तरह प्रतीत होता है. दरअसल, जब हिंदू अपना नववर्ष मनाते है तब पूरा पर्यावरण पूरी प्रकृति नए स्वरूप में निखर रही होती है।
सनातन धर्म के अनुसार हिंदू नव वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. यह ऐसा समय होता है जब पूरी पृथ्वी नए रूप में निखर रही होती है. सही मायने में कहें तो यह वही समय होता है जब पतझड़ के बाद पेड़ पौधे बसंत ऋतु में प्रवेश कर रहे होते हैं और उनके सूखे पत्तों की जगह नए-नए हरे-भरे पत्ते उग रहे होते हैं. हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि को भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि का निर्माण किया था. यही वजह है कि सनातन धर्म में हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को ही नव वर्ष मनाया जाता है.
साल 2023 में हिंदू नव वर्ष 22 मार्च 2023 के दिन पड़ रहा है. यानी हिंदू पंचांग के अनुसार 22 मार्च को चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. भारत में इस दिन सनातन धर्म को मानने वाले लोग पूरे धूमधाम से अपना नववर्ष मनाते हैं. इस दिन सुबह उठते ही घर में पूरा भक्ति में माहौल रहता है और दिन की शुरुआत पूजा-पाठ से होती है। भारतीय संस्कृति में विक्रम संवत 2080 चैत्र मास में शुक्ल पक्ष को हर्षोल्लास से हवन यज्ञ व प्रभु भक्ति से नव वर्ष मनाया जाता है
जिस तरह से भारत में हिंदू अपना नव वर्ष चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं, उसी तरह भारत में रहने वाले अन्य धर्मों के लोग भी अपने अपने हिसाब से अपना नववर्ष मनाते हैं।

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