वैदिकगण-भारत के संस्थापक व अध्यक्ष ‘वत्स’ देशराज होंगे आचार्य वशिष्ठ सम्मान से विभूषित

शिमला
व्युरो रिपोर्ट 10.01.25 क्रमांक025/0023

भारतीय ज्ञान-विज्ञान, ऋषि परंपरा, और संस्कृत भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन में अद्वितीय योगदान देने वाले वैदिकगण-भारत के संस्थापक और अध्यक्ष ‘वत्स’ देशराज को ‘सिरमौर कला संगम’ द्वारा प्रतिष्ठित आचार्य वशिष्ठ सम्मान से अलंकृत किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 28 जून 2025 को एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा।

संस्कृत के क्षेत्र में असाधारण योगदान
मूल रूप से हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी के निवासी, ‘वत्स’ देशराज ने प्राचीन भारतीय संस्कृति, वेद, उपनिषद, और संस्कृत साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं। उनके कार्य न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय परंपरा के प्रचार-प्रसार में सहायक रहे हैं। उन्होंने वैदिकगण-भारत संगठन की स्थापना के माध्यम से युवाओं को भारतीय दर्शन और शास्त्रों से जोड़ने का प्रयास किया है।

सिरमौर कला संगम की सराहनीय पहल
‘सिरमौर कला संगम’ एक ऐसा प्रतिष्ठित संगठन है, जो भारतीय कला, संस्कृति, और साहित्य को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। यह संगठन हर वर्ष उन महान हस्तियों को सम्मानित करता है, जिन्होंने भारतीय परंपरा और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया हो।

आचार्य वशिष्ठ सम्मान का उद्देश्य भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्जीवित करना और समाज को संस्कृत व भारतीय दर्शन की महत्ता से परिचित कराना है। इस सम्मान के माध्यम से ‘वत्स’ देशराज के प्रयासों को सराहना और मान्यता मिलती है।

देशभर में उत्साह
‘वत्स’ देशराज को इस सम्मान से अलंकृत किए जाने की घोषणा से पूरे हिमाचल प्रदेश और संस्कृत विद्वानों के बीच उत्साह का माहौल है। उनके समर्थक और विद्यार्थी इस उपलब्धि को भारतीय संस्कृति और संस्कृत के प्रति उनके समर्पण का परिणाम मानते हैं। यह सम्मान युवा पीढ़ी को भी प्रोत्साहित करेगा कि वे भारतीय परंपरा और संस्कृति के उत्थान के लिए योगदान दें।

यह सम्मान समारोह भारतीय संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, और ऋषि परंपरा की गौरवशाली धरोहर को पुनः स्मरण कराने का अवसर बनेगा।

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