संजीव शर्मा
सिरमौर
03.07.25
मंडी जिला के रिवल्सर से सम्बंध रखने वाले वत्स देशराज शर्मा द्वारा सिरमौर मे 30 जून 2025 को संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित सात दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर के समापन समारोह मे कला संगम के कार्यक्रम मे विद्यार्थियों को संस्कृत के व्यवहारिक पक्ष से परिचित कराया। यह शिविर कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ के सूर कक्ष में संपन्न हुआ। विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में आयोजित इस शिविर में प्रतिभागियों को संस्कृत भाषा का आरंभिक एवं व्यवहारिक ज्ञान प्रदान किया गया। शिविर में छोटे-छोटे वाक्यों के माध्यम से सरल संस्कृत प्रशिक्षण दिया गया, जिससे प्रतिभागियों को दैनिक जीवन में संस्कृत प्रयोग करने का आत्मविश्वास प्राप्त हुआ।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि आर.बी.एस. महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. छगन लाल शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत मात्र एक भाषा नहीं, अपितु भारत की संस्कृति की संवाहिका है। उन्होंने कहा कि संस्कृत का ज्ञान किसी भी अन्य भाषा के अधिग्रहण को सरल बना देता है। तेलुगु भाषा का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि तेलुगु के प्रत्येक वाक्य में दो से तीन संस्कृत शब्द होते हैं। इसी क्रम में उन्होंने रूसी भाषा में भी संस्कृत के प्रभाव की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत की वैज्ञानिकता निर्विवाद है और नासा द्वारा भी इसकी पुष्टि की जा रही है। संस्कृत उच्चारण से उत्पन्न ध्वनि-तरंगें मस्तिष्क को लाभ पहुँचाती हैं, जिससे स्मरण शक्ति और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
विशिष्ट अतिथि बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की प्रो. गुंजन ने कहा कि संस्कृत न केवल भारत की, अपितु विश्व की भाषा है। भारतीय संस्कृति के संरक्षण का आधार संस्कृत ही है। उन्होंने कहा कि इस शिविर ने संस्कृत भाषा को नई प्रासंगिकता दी है। उन्होंने वेदों और पुराणों के माध्यम से जीवन के समग्र दृष्टिकोण को रेखांकित किया और कहा कि अर्थशास्त्र, संगीत शास्त्र जैसे अनेक विषय संस्कृत ग्रंथों में ही विद्यमान हैं। साथ ही, उन्होंने मार्क्सवादी तर्कों का खंडन करते हुए श्रीमद्भगवद्गीता के संदेशों के आधार पर कर्मप्रधान जीवन की प्रेरणा दी।
शिविर में कुल 125 विद्यार्थियों ने पंजीकरण कराया था। संस्कृत विभाग द्वारा प्रति वर्ष ऐसे शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर डॉ. संदीप शर्मा, डॉ. संध्या श्रीवास्तव, डॉ. सादिया हुसैन, मंगला शर्मा, नंदिनी, रेनू, निधि, खुशी, बसंत यादव, सत्यम सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वर्षा रानी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पल्लवी आर्य द्वारा किया गया।
संस्थान के निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीधर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्कृत केवल भाषा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। इसका अध्ययन न केवल अतीत से जोड़ता है, बल्कि भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त करता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संस्कृत को यदि उचित संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार मिले तो यह वैश्विक ज्ञान की भाषा बन सकती है।