राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सरैन ने स्वेच्छा से स्मार्ट यूनिफॉर्म को अपनाकर अनुशासन, समर्पण और समानता का अद्भुत उदाहरण किया प्रस्तुत

चौपाल
संजीव शर्मा
15.05.2025

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सरैन ने शिक्षा जगत में एक अनुकरणीय और प्रेरणादायक पहल करते हुए अपने विद्यार्थियों के लिए स्मार्ट यूनिफॉर्म की शुरुआत की है। विशेष बात यह है कि इस पहल को केवल छात्रों तक ही सीमित नहीं रखा गया, बल्कि विद्यालय के प्रधानाचार्य के मार्गदर्शन में सभी अध्यापकों ने भी स्वेच्छा से स्मार्ट यूनिफॉर्म को अपनाकर अनुशासन, समर्पण और समानता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस कदम की स्थानीय स्तर पर व्यापक रूप से सराहना की जा रही है। पंचायत सराह के प्रधान श्री नरेंद्र ठाकुर ने विद्यालय की इस पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह एक साहसिक और सकारात्मक कदम है, जिससे शिक्षकों की कार्यशैली, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता का स्पष्ट परिचय मिलता है। वहीं विद्यालय प्रबंधन समिति (एस.एम.सी.) के अध्यक्ष श्री दीप राम दराईक ने इस निर्णय को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि सरैन विद्यालय ने जिला शिमला में न केवल सरकारी विद्यालयों, बल्कि कई निजी विद्यालयों को भी पीछे छोड़ते हुए एक नया मानक स्थापित किया है। इससे सरकारी विद्यालयों के प्रति अभिभावकों और आम जनमानस का विश्वास और अधिक दृढ़ होगा, और निजी विद्यालयों की ओर हो रही अनावश्यक दौड़ में भी कमी आएगी।

उल्लेखनीय है कि यह वही विद्यालय है जिसने गत वर्ष 12,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित चूड़धार में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) का सात दिवसीय शिविर आयोजित कर राष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान स्थापित किया था, जिससे विद्यालय की कार्यक्षमता और नेतृत्व कौशल पहले ही प्रमाणित हो चुका है। विद्यालय में कार्यरत अंग्रेजी प्रवक्ता श्री ललित कुमार हिमटा ने एक साक्षात्कार में कहा कि जब शिक्षक स्वयं अनुशासन, एकरूपता और गरिमा का पालन करते हैं, तो उसका सीधा और गहरा प्रभाव छात्रों पर पड़ता है। वे अपने शिक्षकों को केवल ज्ञान का स्रोत नहीं, बल्कि आचरण और जीवन मूल्यों का आदर्श मानते हैं। शिक्षा विभाग ने भले ही शिक्षकों से स्वेच्छा से ड्रेस कोड अपनाने का आह्वान किया हो, लेकिन सरैन विद्यालय ने इस दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए पूरे प्रदेश के लिए एक अनुकरणीय मिसाल कायम की है। इस प्रयास से न केवल छात्रों में अनुशासन और आत्मगौरव की भावना विकसित होगी, बल्कि संपूर्ण समाज में शिक्षा व्यवस्था के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी निर्मित होगा। जनसाधारण इस प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहा है और इसे शिक्षा में नवाचार और मूल्यों के समन्वय का एक सुंदर उदाहरण मान रहा है।

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