डॉ.माधव-मुरलीधर देशपाण्डे को “पुरुषोत्तम गाडगीळ पुरस्कार” – उत्तर अमेरिका में पहली बार पुरस्कार समारोह का आयोजन

शिमला
संजीव शर्मा
10.04.25
कैलिफ़ोर्निया के सनीवेल मे 3 अप्रैल 2025 को संस्कृत भाषा के संरक्षण और प्रचार में दीर्घकाल से समर्पित कार्य कर रहे डॉ. माधव-मुरलीधर देशपाण्डे को इस वर्ष “पुरुषोत्तम-गाडगील पुरस्कार” के लिए चयनित किया गया है। यह पुरस्कार स्वर्गीय श्री पुरुषोत्तम नारायण गाडगीळ की स्मृति में 1985 से प्रतिवर्ष प्रदान किया जा रहा है।
डॉ.देशपाण्डे वर्तमान में “वैदिकगणः” नामक प्रतिष्ठित संस्था में “श्लोक शल्यचिकित्सक” (संस्कृत संपादन विशेषज्ञ) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने वेदांत, व्याकरण, साहित्य आदि विविध क्षेत्रों में गहन शोध और शिक्षण कार्य किया है।
यह पुरस्कार स्वर्गीय जयंती वासुदेव गाडगीळ के नाम पर उनके पुत्र स्वर्गीय हरिभाऊ वासुदेव गाडगीळ द्वारा स्थापित किया गया था। तब से यह सम्मान प्रतिवर्ष महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों—जैसे सांगली, वाई, सातारा, रत्नागिरी, नासिक, पुणे, वाराणसी आदि में सौ से अधिक संस्कृत विद्वानों को प्रदान किया जा चुका है।
स्वर्गीय हरिभाऊ के निधन के पश्चात 2006 से उनके पुत्र श्री गणेश हरिभाऊ गाडगीळ इस परंपरा को सांगली नगर में निरंतर बनाए हुए हैं। इस वर्ष उनके जन्मशताब्दी महोत्सव के अवसर पर यह समारोह विशेष रूप से पहली बार उत्तर अमेरिका में आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम रविवार,1 जून 2025 को प्रातः 11 बजे से अपराह्न 2 बजे तक, बैंक्वेट हॉल, उलुवचारू भारतीय रेस्टोरेंट में संपन्न होगा।
इस आयोजन की संयोजिका श्रीमती माधुरी बापट (मॉर्गनटाउन, वेस्ट वर्जीनिया) हैं। यह पुरस्कार न केवल संस्कृत भाषा की प्रतिष्ठा का प्रतीक है, अपितु गाडगीळ परिवार की सांस्कृतिक परंपरा और गौरव का भी प्रतीक बन चुका है।

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